क्या कह दिया ये आप ने चुपके से कान में
दिल का सँभालना मुझे दुश्वार हो गया
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मेरे हम-राह मिरे घर पे भी आफ़त आई
बात करने की शब-ए-वस्ल इजाज़त दे दो
सख़्त-जाँ हूँ मुझे इक वार से क्या होता है
जताए जाते हैं एहसान भी सता के मुझे
और साक़ी पिला अभी क्या है
सवाल-ए-वस्ल पर कुछ सोच कर उस ने कहा मुझ से
उन के आते ही हुआ हसरत-ओ-अरमाँ का हुजूम
दोनों ही की जानिब से हो गर अहद-ए-वफ़ा हो
राह में बैठा हूँ मैं तुम संग-ए-रह समझो मुझे
हमें पीने से मतलब है जगह की क़ैद क्या 'बेख़ुद'
न देखे होंगे रिंद-ए-ला-उबाली तुम ने 'बेख़ुद' से
'बेख़ुद' तो मर मिटे जो कहा उस ने नाज़ से