Love Poetry of Dilawar Ali Aazar
नाम | दिलावर अली आज़र |
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अंग्रेज़ी नाम | Dilawar Ali Aazar |
जन्म की तारीख | 1984 |
जन्म स्थान | Pakistan |
कविताएं
Ghazal 26
Couplets 12
Love 19
Sad 14
Heart Broken 18
Hope 10
Islamic 2
Sufi 1
देशभक्तिपूर्ण 1
ख्वाब 15
Sharab 1
चाँद तारे तो मिरे बस में नहीं हैं 'आज़र'
वो बहते दरिया की बे-करानी से डर रहा था
सात दरियाओं का पानी है मिरे कूज़े में
नींद में खुलते हुए ख़्वाब की उर्यानी पर
मुमकिन है कि मिलते कोई दम दोनों किनारे
मंज़र से उधर ख़्वाब की पस्पाई से आगे
लम्हा लम्हा वुसअत-ए-कौन-ओ-मकाँ की सैर की
कुछ भी नहीं है ख़ाक के आज़ार से परे
ख़ुद अपनी आग में सारे चराग़ जलते हैं
खींच कर अक्स फ़साने से अलग हो जाओ
कब तक फिरूंगा हाथ में कासा उठा के मैं
दूर के एक नज़ारे से निकल कर आई
दरून-ए-ख़्वाब नया इक जहाँ निकलता है
बोझ उठाए हुए दिन रात कहाँ तक जाता
अक्स मंज़र में पलटने के लिए होता है
अजीब रंग अजब हाल में पड़े हुए हैं
'आज़र' रहा है तेशा मिरे ख़ानदान में
आँख में ख़्वाब ज़माने से अलग रक्खा है
आग लग जाएगी इक दिन मिरी सरशारी को