Khawab Poetry of Dilawar Ali Aazar

Khawab Poetry of Dilawar Ali Aazar
नामदिलावर अली आज़र
अंग्रेज़ी नामDilawar Ali Aazar
जन्म की तारीख1984
जन्म स्थानPakistan

वही सितारा-नुमा इक चराग़ है 'आज़र'

वो बहते दरिया की बे-करानी से डर रहा था

नींद में खुलते हुए ख़्वाब की उर्यानी पर

मुमकिन है कि मिलते कोई दम दोनों किनारे

मंज़र से उधर ख़्वाब की पस्पाई से आगे

लम्हा लम्हा वुसअत-ए-कौन-ओ-मकाँ की सैर की

कुछ भी नहीं है ख़ाक के आज़ार से परे

खींच कर अक्स फ़साने से अलग हो जाओ

कब तक फिरूंगा हाथ में कासा उठा के मैं

हवा ने इस्म कुछ ऐसा पढ़ा था

दरून-ए-ख़्वाब नया इक जहाँ निकलता है

बना रहा था कोई आब ओ ख़ाक से कुछ और

अजीब रंग अजब हाल में पड़े हुए हैं

'आज़र' रहा है तेशा मिरे ख़ानदान में

आँख में ख़्वाब ज़माने से अलग रक्खा है

दिलावर अली आज़र ख्वाब Poetry in Hindi - Read famous ख्वाब Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by दिलावर अली आज़र. Largest collection of ख्वाब Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by दिलावर अली आज़र. Share the दिलावर अली आज़र ख्वाब Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.