Ghazals of Ejaz Obaid

Ghazals of Ejaz Obaid
नामएजाज़ उबैद
अंग्रेज़ी नामEjaz Obaid

उस ने देखा था अजब एक तमाशा मुझ में

थीं इक सुकूत से ज़ाहिर मोहब्बतें अपनी

था वो जंगल कि नगर याद नहीं

तेरे दामन की थी या मस्त हुआ किस की थी

नए सफ़र में जो पिछले सफ़र के साथी थे

मैं ने क्या काम ला-जवाब किया

कोई हो चेहरा शनासा दिखाई देता है

किस से मिलने जाओ अब किस से मुलाक़ातें करो

जो जा चुके हैं ग़ालिबन उतरें कभी ज़ीना तिरा

हम ने आँख से देखा कितने सूरज निकले डूब गए

हथेलियों में लकीरों का जाल था कितना

हँसने में रोने की आदत कभी ऐसी तो न थी

ग़म भी उतना नहीं कि तुम से कहें

गले लग कर मिरे वो जाने हँसता था कि रोता था

दूसरों की आँख ले कर भी पशेमानी हुई

दिखाता क्या है ये टूटी हुई कमान मुझे

धुँद का आँखों पर होगा पर्दा इक दिन

ऐसे ही दिन थे कुछ ऐसी शाम थी

अभी तमाम आइनों में ज़र्रा ज़र्रा आब है

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