Hope Poetry of Faiz Ahmad Faiz (page 4)
नाम | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Faiz Ahmad Faiz |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1984 |
जन्म स्थान | Lahore |
सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैं
रह-ए-ख़िज़ाँ में तलाश-ए-बहार करते रहे
फिर हरीफ़-ए-बहार हो बैठे
फिर आईना-ए-आलम शायद कि निखर जाए
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही
न किसी पे ज़ख़्म अयाँ कोई न किसी को फ़िक्र रफ़ू की है
किए आरज़ू से पैमाँ जो मआल तक न पहुँचे
किसी गुमाँ पे तवक़्क़ो' ज़ियादा रखते हैं
किस शहर न शोहरा हुआ नादानी-ए-दिल का
कभी कभी याद में उभरते हैं नक़्श-ए-माज़ी मिटे मिटे से
कब तक दिल की ख़ैर मनाएँ कब तक रह दिखलाओगे
जमेगी कैसे बिसात-ए-याराँ कि शीशा ओ जाम बुझ गए हैं
इश्क़ मिन्नत-कश-ए-क़रार नहीं
हुस्न मरहून-ए-जोश-ए-बादा-ए-नाज़
हम ने सब शेर में सँवारे थे
हम सादा ही ऐसे थे की यूँ ही पज़ीराई
हम मुसाफ़िर यूँही मसरूफ़-ए-सफ़र जाएँगे
हसरत-ए-दीद में गुज़राँ हैं ज़माने कब से
हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाए
हमीं से अपनी नवा हम-कलाम होती रही
हैराँ है जबीं आज किधर सज्दा रवा है
फ़िक्र-ए-दिलदारी-ए-गुलज़ार करूँ या न करूँ
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
चश्म-ए-मयगूँ ज़रा इधर कर दे
अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सब की ज़बाँ ठहरी है
''आप की याद आती रही रात भर''
आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गया