Sad Poetry of Faiz Ahmad Faiz (page 6)

Sad Poetry of Faiz Ahmad Faiz (page 6)
नामफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अंग्रेज़ी नामFaiz Ahmad Faiz
जन्म की तारीख1911
मौत की तिथि1984
जन्म स्थानLahore

ये किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया

ये जफ़ा-ए-ग़म का चारा वो नजात-ए-दिल का आलम

यक-ब-यक शोरिश-ए-फ़ुग़ाँ की तरह

याद-ए-ग़ज़ाल-चश्माँ ज़िक्र-ए-समन-अज़ाराँ

याद का फिर कोई दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब

वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

वो अहद-ए-ग़म की काहिश-हा-ए-बे-हासिल को क्या समझे

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं

तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है

तिरी उमीद तिरा इंतिज़ार जब से है

तिरे ग़म को जाँ की तलाश थी तिरे जाँ-निसार चले गए

सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन न थी तिरी अंजुमन से पहले

शरह-ए-फ़िराक़ मदह-ए-लब-ए-मुश्कबू करें

शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई

शैख़ साहब से रस्म-ओ-राह न की

शफ़क़ की राख में जल बुझ गया सितारा-ए-शाम

सहल यूँ राह-ए-ज़िंदगी की है

सभी कुछ है तेरा दिया हुआ सभी राहतें सभी कुल्फ़तें

रह-ए-ख़िज़ाँ में तलाश-ए-बहार करते रहे

राज़-ए-उल्फ़त छुपा के देख लिया

क़र्ज़-ए-निगाह-ए-यार अदा कर चुके हैं हम

क़ंद-ए-दहन कुछ इस से ज़ियादा

फिर लौटा है ख़ुर्शीद-ए-जहाँ-ताब सफ़र से

फिर आईना-ए-आलम शायद कि निखर जाए

नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही

न किसी पे ज़ख़्म अयाँ कोई न किसी को फ़िक्र रफ़ू की है

न अब रक़ीब न नासेह न ग़म-गुसार कोई

कुछ पहले इन आँखों आगे क्या क्या न नज़ारा गुज़रे था

कुछ मोहतसिबों की ख़ल्वत में कुछ वाइ'ज़ के घर जाती है

कुछ दिन से इंतिज़ार-ए-सवाल-ए-दिगर में है

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