मायूस दिलों को अब छेड़ो भी तो क्या हासिल
टूटे हुए पैमाने फ़रियाद नहीं करते
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Anwar Masood
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
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आदाब-ए-आशिक़ी से तो हम बे-ख़बर न थे
सर-ए-महफ़िल हमारे दिल को लूटा चश्म-ए-साक़ी ने
परतव-ए-हुस्न से ज़र्रे भी बने आईने
यक़ीन-ए-वा'दा-ए-फ़र्दा हमें बावर नहीं आता
तिरे ग़म के सामने कुछ ग़म-ए-दो-जहाँ नहीं है
हैं ये जज़्बात मिरे दर्द भरे दिल के फ़िगार
हस्ती इक नक़्श-ए-इनइकासी है
तुम हरीम-ए-नाज़ में बैठे हो बेगाने बने
अजीब कश्मकश है कैसे हर्फ़-ए-मुद्दआ कहूँ
शोहरत-ए-तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ आम हुई जाती है
हसरत-ए-दिल ना-मुकम्मल है किताब-ए-ज़िंदगी