Hope Poetry of Firaq Gorakhpuri (page 2)

Hope Poetry of Firaq Gorakhpuri (page 2)
नामफ़िराक़ गोरखपुरी
अंग्रेज़ी नामFiraq Gorakhpuri
जन्म की तारीख1896
मौत की तिथि1982

कोई पैग़ाम-ए-मोहब्बत लब-ए-एजाज़ तो दे

कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में

जुनून-ए-कारगर है और मैं हूँ

जिसे लोग कहते हैं तीरगी वही शब हिजाब-ए-सहर भी है

जौर-ओ-बे-मेहरी-ए-इग़्माज़ पे क्या रोता है

इश्क़ की मायूसियों में सोज़-ए-पिन्हाँ कुछ नहीं

हो के सर-ता-ब-क़दम आलम-ए-असरार चला

हिज्र-ओ-विसाल-ए-यार का पर्दा उठा दिया

हाथ आए तो वही दामन-ए-जानाँ हो जाए

हर नाला तिरे दर्द से अब और ही कुछ है

'फ़िराक़' इक नई सूरत निकल तो सकती है

इक रोज़ हुए थे कुछ इशारात ख़फ़ी से

दीदार में इक-तरफ़ा दीदार नज़र आया

बहसें छिड़ी हुई हैं हयात-ओ-ममात की

अब दौर-ए-आसमाँ है न दौर-ए-हयात है

आँखों में जो बात हो गई है

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