Khawab Poetry of Firaq Gorakhpuri

Khawab Poetry of Firaq Gorakhpuri
नामफ़िराक़ गोरखपुरी
अंग्रेज़ी नामFiraq Gorakhpuri
जन्म की तारीख1896
मौत की तिथि1982

शाम-ए-अयादत

परछाइयाँ

जुगनू

जुदाई

हिण्डोला

आधी रात

ये नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चराग़

ये मौत-ओ-अदम कौन-ओ-मकाँ और ही कुछ है

सुना तो है कि कभी बे-नियाज़-ए-ग़म थी हयात

रस्म-ओ-राह-ए-दहर क्या जोश-ए-मोहब्बत भी तो हो

निगाह-ए-नाज़ ने पर्दे उठाए हैं क्या क्या

कुछ न कुछ इश्क़ की तासीर का इक़रार तो है

कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में

जिसे लोग कहते हैं तीरगी वही शब हिजाब-ए-सहर भी है

हिज्र-ओ-विसाल-ए-यार का पर्दा उठा दिया

'फ़िराक़' इक नई सूरत निकल तो सकती है

अब अक्सर चुप चुप से रहें हैं यूँही कभू लब खोलें हैं

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