ज़िंदगी इक सवाल है जिस का जवाब मौत है
मौत भी इक सवाल है जिस का जवाब कुछ नहीं
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Habib Jalib
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Gulzar
Javed Akhtar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1109) Peoples Rate This
ज़मीं पर हैं वो कुछ मिट्टी के पुतले
शौक़-ए-सवाब कुछ नहीं ख़ौफ़-ए-अज़ाब कुछ नहीं
कहा झुँझला के अहल-ए-क़ाफ़िला से एक रहबर ने
ये मय-कश कौन बा-सद लग़्ज़िश-ए-मस्ताना आता है
कोई हद भी है आख़िर इम्तिहाँ की
तुम्हारी बज़्म भी क्या बज़्म है आदाब हैं कैसे
ज़माने की कशाकश का दिया पैहम पता मुझ को
उमीदें तो वाबस्ता हैं अब्र-ए-तर से
ज़बान ओ दहन से जो खुलते नहीं हैं
मुकम्मल दास्ताँ का इख़्तिसार इतना ही काफ़ी है
कहानी अपनी अपनी अहल-ए-महफ़िल जब सुनाते हैं