कहानी अपनी अपनी अहल-ए-महफ़िल जब सुनाते हैं
कहानी अपनी अपनी अहल-ए-महफ़िल जब सुनाते हैं
मुझे भी याद इक भूला हुआ अफ़्साना आता है
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मुझे भी याद इक भूला हुआ अफ़्साना आता है
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