आसान नहीं मरहला-ए-तर्क-ए-वफ़ा भी
मुद्दत हुई हम इस को भुलाने में लगे हैं
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Gulzar
Habib Jalib
Javed Akhtar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Wasi Shah
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पैग़ाम ईद
हर हक़ीक़त है एक हुस्न 'हफ़ीज़'
इक हुस्न-ए-तसव्वुर है जो ज़ीस्त का साथी है
गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है
रात का नाम सवेरा ही सही
उस दुश्मन-ए-वफ़ा को दुआ दे रहा हूँ मैं
ये हादसा भी शहर-ए-निगाराँ में हो गया
लहू की मय बनाई दिल का पैमाना बना डाला
जो ख़त है शिकस्ता है जो अक्स है टूटा है
जब तसव्वुर में कोई माह-जबीं होता है
हदीस-ए-तल्ख़ी-ए-अय्याम से तकलीफ़ होती है
कोई बतलाए कि ये तुर्फ़ा तमाशा क्यूँ है