Friendship Poetry of Haidar Ali Aatish (page 3)

Friendship Poetry of Haidar Ali Aatish (page 3)
नामहैदर अली आतिश
अंग्रेज़ी नामHaidar Ali Aatish
जन्म की तारीख1778
मौत की तिथि1847
जन्म स्थानLucknow

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

जब के रुस्वा हुए इंकार है सच बात में क्या

जाँ-बख़्श लब के इश्क़ में ईज़ा उठाइए

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

इस के कूचे में मसीहा हर सहर जाता रहा

इंसाफ़ की तराज़ू में तौला अयाँ हुआ

हुस्न किस रोज़ हम से साफ़ हुआ

हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का

हवा-ए-दौर-ए-मय-ए-ख़ुश-गवार राह में है

हसरत-ए-जल्वा-ए-दीदार लिए फिरती है

हंगाम-ए-नज़'अ महव हूँ तेरे ख़याल का

है जब से दस्त-ए-यार में साग़र शराब का

ग़म नहीं गो ऐ फ़लक रुत्बा है मुझ को ख़ार का

फ़र्त-ए-शौक़ उस बुत के कूचे में लगा ले जाएगा

फ़रेब-ए-हुस्न से गब्र-ओ-मुसलमाँ का चलन बिगड़ा

दीवानगी ने क्या क्या आलम दिखा दिए हैं

दिल-लगी अपनी तिरे ज़िक्र से किस रात न थी

दिल शहीद-ए-रह-ए-दामान न हुआ था सो हुआ

दिल की कुदूरतें अगर इंसाँ से दूर हों

दौलत-ए-हुस्न की भी है क्या लूट

चमन में शब को जो वो शोख़ बे-नक़ाब आया

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम

बुलबुल को ख़ार ख़ार-ए-दबिस्ताँ है इन दिनों

बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया

बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी

बर्क़ को उस पर अबस गिरने की हैं तय्यारियाँ

बरगश्ता-तालई का तमाशा दिखाऊँ मैं

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

ऐसी वहशत नहीं दिल को कि सँभल जाऊँगा

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है

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