Friendship Poetry of Haidar Ali Aatish (page 2)

Friendship Poetry of Haidar Ali Aatish (page 2)
नामहैदर अली आतिश
अंग्रेज़ी नामHaidar Ali Aatish
जन्म की तारीख1778
मौत की तिथि1847
जन्म स्थानLucknow

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

शब-ए-फ़ुर्क़त में यार-ए-जानी की

सब्ज़ा बाला-ए-ज़क़न दुश्मन है ख़ल्क़ुल्लाह का

रुख़ ओ ज़ुल्फ़ पर जान खोया किया

रुजूअ बंदा की है इस तरह ख़ुदा की तरफ़

रोज़-ए-मौलूद से साथ अपने हुआ ग़म पैदा

रफ़्तगाँ का भी ख़याल ऐ अहल-ए-आलम कीजिए

क़िस्सा-ए-सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ न कहना बेहतर

क़द-ए-सनम सा अगर आफ़रीदा होना था

पिसे दिल उस की चितवन पर हज़ारों

पीरी से मिरा नौ दिगर-हाल हुआ है

पयम्बर मैं नहीं आशिक़ हूँ जानी

नाज़-ओ-अदा है तुझ से दिल-आराम के लिए

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

मुंतज़िर था वो तो जुस्त-ओ-जू में ये आवारा था

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे लब तक आती दुआ नहीं

मौत माँगूँ तो रहे आरज़ू-ए-ख़्वाब मुझे

मय-ए-गुल-रंग से लबरेज़ रहें जाम सफ़ेद

मगर उस को फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आता है

लिबास-ए-यार को मैं पारा-पारा क्या करता

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके

कूचा-ए-दिलबर में मैं बुलबुल चमन में मस्त है

कोई इश्क़ में मुझ से अफ़्ज़ूँ न निकला

कोई अच्छा नहीं होता है बरी चालों से

ख़्वाहाँ तिरे हर रंग में ऐ यार हमीं थे

कौन से दिल में मोहब्बत नहीं जानी तेरी

काबा ओ दैर में है किस के लिए दिल जाता

काम हिम्मत से जवाँ मर्द अगर लेता है

जोश-ओ-ख़रोश पर है बहार-ए-चमन हनूज़

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