Sharab Poetry of Haidar Ali Aatish

Sharab Poetry of Haidar Ali Aatish
नामहैदर अली आतिश
अंग्रेज़ी नामHaidar Ali Aatish
जन्म की तारीख1778
मौत की तिथि1847
जन्म स्थानLucknow

न जब तक कोई हम-प्याला हो मैं मय नहीं पीता

मय-कदे में नश्शा की ऐनक दिखाती है मुझे

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा

तेरी जो याद ऐ दिल-ख़्वाह भूला

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

नाज़-ओ-अदा है तुझ से दिल-आराम के लिए

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

मोहब्बत का तिरी बंदा हर इक को ऐ सनम पाया

मय-ए-गुल-रंग से लबरेज़ रहें जाम सफ़ेद

लिबास-ए-यार को मैं पारा-पारा क्या करता

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके

कूचा-ए-दिलबर में मैं बुलबुल चमन में मस्त है

कौन से दिल में मोहब्बत नहीं जानी तेरी

काम हिम्मत से जवाँ मर्द अगर लेता है

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

जाँ-बख़्श लब के इश्क़ में ईज़ा उठाइए

इस शश-जिहत में ख़ूब तिरी जुस्तुजू करें

इस के कूचे में मसीहा हर सहर जाता रहा

हुस्न-ए-परी इक जल्वा-ए-मस्ताना है उस का

हुस्न किस रोज़ हम से साफ़ हुआ

हवा-ए-दौर-ए-मय-ए-ख़ुश-गवार राह में है

है जब से दस्त-ए-यार में साग़र शराब का

फ़रेब-ए-हुस्न से गब्र-ओ-मुसलमाँ का चलन बिगड़ा

चमन में शब को जो वो शोख़ बे-नक़ाब आया

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम

बर्क़ को उस पर अबस गिरने की हैं तय्यारियाँ

बरगश्ता-तालई का तमाशा दिखाऊँ मैं

आरिफ़ है वो जो हुस्न का जूया जहाँ में है

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