Sad Poetry of Haidar Ali Aatish

Sad Poetry of Haidar Ali Aatish
नामहैदर अली आतिश
अंग्रेज़ी नामHaidar Ali Aatish
जन्म की तारीख1778
मौत की तिथि1847
जन्म स्थानLucknow

उठ गई हैं सामने से कैसी कैसी सूरतें

सिवाए रंज कुछ हासिल नहीं है इस ख़राबे में

क़ैद-ए-मज़हब की गिरफ़्तारी से छुट जाता है

न पूछ हाल मिरा चोब-ए-ख़ुश्क-ए-सहरा हूँ

मैं वो ग़म-दोस्त हूँ जब कोई ताज़ा ग़म हुआ पैदा

लगे मुँह भी चिढ़ाने देते देते गालियाँ साहब

कुफ़्र ओ इस्लाम की कुछ क़ैद नहीं ऐ 'आतिश'

किसी ने मोल न पूछा दिल-ए-शिकस्ता का

किसी की महरम-ए-आब-ए-रवाँ की याद आई

दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर

आफ़त-ए-जाँ हुई उस रू-ए-किताबी की याद

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया

वो नाज़नीं ये नज़ाकत में कुछ यगाना हुआ

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा

वही चितवन की ख़ूँ-ख़्वारी जो आगे थी सो अब भी है

उन्नाब-ए-लब का अपने मज़ा कुछ न पूछिए

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया

तोड़ कर तार-ए-निगह का सिलसिला जाता रहा

तेरी जो याद ऐ दिल-ख़्वाह भूला

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

तार-तार-ए-पैरहन में भर गई है बू-ए-दोस्त

ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के

सूरत से इस की बेहतर सूरत नहीं है कोई

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या

शोहरा-ए-आफ़ाक़ मुझ सा कौन सा दीवाना है

शब-ए-फ़ुर्क़त में यार-ए-जानी की

सर शम्अ साँ कटाइए पर दम न मारिए

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