हकीम मंज़ूर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का हकीम मंज़ूर (page 2)
नाम | हकीम मंज़ूर |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Hakeem Manzoor |
कविताएं
Ghazal 28
Couplets 16
Love 26
Sad 19
Heart Broken 30
Bewafa 2
Hope 10
Friendship 2
Islamic 3
Sufi 2
Social 1
बारिश 6
ख्वाब 8
हो आँख अगर ज़िंदा गुज़रती है न क्या क्या
हर एक आँख को कुछ टूटे ख़्वाब दे के गया
है इज़्तिराब हर इक रंग को बिखरने का
ढल गया जिस्म में आईने में पत्थर में कभी
छोड़ कर मुझ को कहीं फिर उस ने कुछ सोचा न हो
छोड़ कर बार-ए-सदा वो बे-सदा हो जाएगा
भेजता हूँ हर रोज़ मैं जिस को ख़्वाब कोई अन-देखा सा
बे-सूद एक सिलसिला-ए-इम्तिहाँ न खोल
बयाबाँ-ज़ाद कोई क्या कहे ख़ुद बे-मकाँ है
अज़िय्यतों को किसी तरह कम न कर पाया
अपनी नज़र से टूट कर अपनी नज़र में गुम हुआ
अजब सहरा बदन पर आब का इबहाम रक्खा है
आगे पीछे उस का अपना साया लहराता रहा
आग जो बाहर है पहुँचेगी अंदर भी