Heart Broken Poetry of Hakeem Manzoor
नाम | हकीम मंज़ूर |
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अंग्रेज़ी नाम | Hakeem Manzoor |
तेरी आँखों में आँसू भी देखे हैं
रेज़ा रेज़ा रात भर जो ख़ौफ़ से होता रहा
न जाने किस लिए रोता हूँ हँसते हँसते मैं
हर एक आँख को कुछ टूटे ख़्वाब दे के गया
गिरेगी कल भी यही धूप और यही शबनम
छोड़ कर बार-ए-सदा वो बे-सदा हो जाएगा
वो जो अब तक लम्स है उस लम्स का पैकर बने
टूट कर बिखरे न सूरज भी है मुझ को डर बहुत
सारे चेहरे ताँबे के हैं लेकिन सब पर क़लई है
सफ़र ही कोई रहेगा न फ़ासला कोई
फूल हो कर फूल को क्या चाहना
मुंतशिर सायों का है या अक्स-ए-बे-पैकर का है
मिरे वजूद की दुनिया में है असर किस का
कुछ समझ आया न आया मैं ने सोचा है उसे
कोई पयाम अब न पयम्बर ही आएगा
ख़ुशबुओं की दश्त से हमसायगी तड़पाएगी
ख़ुद अपने-आप से मिलने का मैं अपना इरादा हूँ
कब इस ज़मीं की सम्त समुंदर पलट कर आए
हो आँख अगर ज़िंदा गुज़रती है न क्या क्या
हर एक आँख को कुछ टूटे ख़्वाब दे के गया
है इज़्तिराब हर इक रंग को बिखरने का
ढल गया जिस्म में आईने में पत्थर में कभी
छोड़ कर मुझ को कहीं फिर उस ने कुछ सोचा न हो
छोड़ कर बार-ए-सदा वो बे-सदा हो जाएगा
भेजता हूँ हर रोज़ मैं जिस को ख़्वाब कोई अन-देखा सा
अज़िय्यतों को किसी तरह कम न कर पाया
अपनी नज़र से टूट कर अपनी नज़र में गुम हुआ
अजब सहरा बदन पर आब का इबहाम रक्खा है
आगे पीछे उस का अपना साया लहराता रहा
आग जो बाहर है पहुँचेगी अंदर भी