Ghazals of Hameed Almas

Ghazals of Hameed Almas
नामहमीद अलमास
अंग्रेज़ी नामHameed Almas

यूँ भी क्या था और अब क्या रह गया

याद माज़ी के चराग़ों को बुझाया न करो

उस के करम से है न तुम्हारी नज़र से है

सरहद-ए-गुल से निकल कर हम जुदा हो जाएँगे

रख दिया है मिरी दहलीज़ पे पत्थर किस ने

फिर किसी याद का दरवाज़ा खुला आहिस्ता

जितने अच्छे लोग हैं वो मुझ से वाबस्ता रहे

हर्फ़-ए-ग़ज़ल से रंग-ए-तमन्ना भी छीन ले

घर है तो दर भी होगा दीवार भी रहेगी

चुरा के मेरे ताक़ से किताब कोई ले गया

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