किस वास्ते लिक्खा है हथेली पे मिरा नाम
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते
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शो'ला ही सही आग लगाने के लिए आ
जब प्यार नहीं है तो भुला क्यूँ नहीं देते
कहीं वो आ के मिटा दें न इंतिज़ार का लुत्फ़
ख़ुदा जाने किस किस की ये जान लेगी
हम रातों को उठ उठ के जिन के लिए रोते हैं
ये किस ने कहा है मिरी तक़दीर बना दे
ये कौन आ गई दिल-रुबा महकी महकी
दीवार है दुनिया इसे राहों से हटा दे