Sufi Poetry (page 10)
ज़रूरतों की हमाहमी में जो राह चलते भी टोकती है वो शाइ'री है
बद्र-ए-आलम ख़लिश
आसमाँ पर काले बादल छा गए
बद्र-ए-आलम ख़लिश
अपने चेहरे पर कई चेहरे लिए
बदर जमाली
आसमाँ साहिल समुंदर और मैं
अज़रा परवीन
ख़्वाब-जंगल
अज़रा नक़वी
ये मत कहो कि भीड़ में तन्हा खड़ा हूँ मैं
अज़्म शाकरी
दरीदा-पैरहनों में शुमार हम भी हैं
अज़्म शाकरी
अजीब हालत है जिस्म-ओ-जाँ की हज़ार पहलू बदल रहा हूँ
अज़्म शाकरी
शीशा लब से जुदा नहीं होता
अज़ीज़ वारसी
मुजस्समा
अज़ीज़ तमन्नाई
पाते हैं कुछ कमी सी तस्वीर-ए-ज़िंदगी में
अज़ीज़ तमन्नाई
आह-ए-बे-असर निकली नाला ना-रसा निकला
अज़ीज़ क़ैसी
आएँगे नज़र सुब्ह के आसार में हम लोग
अज़ीज़ नबील
बे-ख़ुदी कूचा-ए-जानाँ में लिए जाती है
अज़ीज़ लखनवी
बचपने की याद
अज़ीज़ लखनवी
आतिश-ए-ख़ामोश
अज़ीज़ लखनवी
साफ़ बातिन देर से हैं मुंतज़िर
अज़ीज़ लखनवी
मेरे रोने पे ये हँसी कैसी
अज़ीज़ लखनवी
ग़लत है दिल पे क़ब्ज़ा क्या करेगी बे-ख़ुदी मेरी
अज़ीज़ लखनवी
दिल हमारा है कि हम माइल-ए-फ़रियाद नहीं
अज़ीज़ लखनवी
निगाह-ए-नाज़ में हया भी है
अज़ीज़ हैदराबादी
जूयान-ए-ताज़ा-कारी-ए-गुफ़्तार कुछ कहो
अज़ीज़ हामिद मदनी
दिलों की उक़्दा-कुशाई का वक़्त है कि नहीं
अज़ीज़ हामिद मदनी
कर्ब-ए-हिज्राँ ज़ि-बस है क्या कीजे
अज़ीम कुरेशी
फ़ित्ना-सामाँ ही नहीं फ़ित्ना-ए-सामाँ निकले
अज़ीम मुर्तज़ा
कुछ और हो भी तो राएगाँ है
अय्यूब ख़ावर
कीसा-ए-दरवेश में जो भी है ज़र उतना ही है
अतीक़ुल्लाह
दिए अपनी ज़ौ पे जो इतरा रहे हैं
आतिफ़ ख़ान
दरमियान-ए-गुनाह-ओ-सवाब आदमी
आतिफ़ ख़ान
तआरुफ़
असरार-उल-हक़ मजाज़