Sufi Poetry (page 9)
नक़्श बर-दीवार
बेबाक भोजपुरी
हक़-केश की फ़रियाद
बेबाक भोजपुरी
अहसन तक़्वीम
बेबाक भोजपुरी
सरीर-ए-ख़ामा से तशरीह-ए-सिर्र-ए-ज़ी होगी
बेबाक भोजपुरी
राज़ है इबरत-असर फ़ितरत की हर तहरीर का
बेबाक भोजपुरी
बख़्त क्या जाने भला या कि बुरा होता है
बेबाक भोजपुरी
मेरे रोने पर किसी की चश्म गिर्यां हाए हाए
बासित भोपाली
ज़ाहिर मिरी शिकस्त के आसार भी नहीं
बशीर सैफ़ी
अब के जुनूँ में लज़्ज़त-ए-आज़ार भी नहीं
बशीर फ़ारूक़ी
सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर
बशीर बद्र
नज़र से गुफ़्तुगू ख़ामोश लब तुम्हारी तरह
बशीर बद्र
कोई लश्कर कि धड़कते हुए ग़म आते हैं
बशीर बद्र
हम तिरे बंदे हमारा तू ख़ुदा-वंद-ए-करीम
बशीर-उन-निसा बेगम बर्क़
दिल से बाहर हैं ख़रीदार अभी
बाक़ी सिद्दीक़ी
उस ने कहा!
बाक़र मेहदी
सज़ा
बाक़र मेहदी
वो रिंद क्या कि जो पीते हैं बे-ख़ुदी के लिए
बाक़र मेहदी
बे-ख़ुदी साथ है मज़े में हूँ
बलवान सिंह आज़र
तर्सील
बलराज कोमल
सर-ए-राहगुज़र एक मंज़र
बलराज कोमल
सर्द, तारीक रात
बलराज कोमल
मैं, एक और मैं
बलराज कोमल
गिर्या-ए-सगाँ
बलराज कोमल
दीदा-ए-तर
बलराज कोमल
मैं सारे फ़ासले तय कर चुका हूँ
बकुल देव
समाअ'त के लिए इक इम्तिहाँ है
बकुल देव
यार को हम ने बरमला देखा
बहराम जी
कुफ़्र एक रंग-ए-क़ुदरत-ए-बे-इंतिहा में है
बहराम जी
बे-ख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़
ज़फ़र
नहीं इश्क़ में इस का तो रंज हमें कि क़रार ओ शकेब ज़रा न रहा
ज़फ़र