Sufi Poetry (page 7)
वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़म उठाए जा
एहसान दानिश
नज़र फ़रेब-ए-क़ज़ा खा गई तो क्या होगा
एहसान दानिश
जब रुख़-ए-हुस्न से नक़ाब उठा
एहसान दानिश
हंगामा-ए-ख़ुदी से तू बे-नियाज़ हो जा
एहसान दानिश
दिल की रग़बत है जब आप ही की तरफ़
एहसान दानिश
बख़्श दी हाल-ए-ज़बूँ ने जल्वा-सामानी मुझे
एहसान दानिश
हज़ारों बार कह कर बेवफ़ा को बा-वफ़ा मैं ने
दिवाकर राही
चालीस चोर
दिलावर फ़िगार
अल्लामा-'इक़बाल' को शिकवा
दिलावर फ़िगार
आग लग जाएगी इक दिन मिरी सरशारी को
दिलावर अली आज़र
तमकीं है और हुस्न-ए-गरेबाँ है और हम
दिल शाहजहाँपुरी
अजब कश्मकश है अजब है कशाकश ये क्या बीच में है हमारे तुम्हारे
दीप्ति मिश्रा
ज़िंदगी क्या है इब्तिला के सिवा
द्वारका दास शोला
रूह-ए-आवारा
दाऊद ग़ाज़ी
इल्म
दाऊद ग़ाज़ी
मुझ साथ सैर-ए-बाग़ कूँ ऐ नौ-बहार चल
दाऊद औरंगाबादी
या इलाही मुझ को ये क्या हो गया
दत्तात्रिया कैफ़ी
सूरत-ए-हाल अब तो वो नक़्श-ए-ख़याली हो गया
दत्तात्रिया कैफ़ी
लुत्फ़ हो हश्र में कुछ बात बनाए न बने
दत्तात्रिया कैफ़ी
इक ख़्वाब का ख़याल है दुनिया कहें जिसे
दत्तात्रिया कैफ़ी
रक़्स करती है फ़ज़ा वज्द में जाम आया है
दर्शन सिंह
क़ैद-ए-ग़म-ए-हयात से अहल-ए-जहाँ मफ़र नहीं
दर्शन सिंह
कहीं जमाल-ए-अज़ल हम को रूनुमा न मिला
दर्शन सिंह
हँसी गुलों में सितारों में रौशनी न मिली
दर्शन सिंह
बहुत मुश्किल है तर्क-ए-आरज़ू रब्त-आश्ना हो कर
दर्शन सिंह
चाँद छूने की तलबगार नहीं हो सकती
दानियाल तरीर
उन के इक जाँ-निसार हम भी हैं
दाग़ देहलवी
मज़े इश्क़ के कुछ वही जानते हैं
दाग़ देहलवी
बुतान-ए-माहवश उजड़ी हुई मंज़िल में रहते हैं
दाग़ देहलवी
बे-ख़ुदी में है न वो पी कर सँभल जाने में है
चरख़ चिन्योटी