Sufi Poetry (page 6)
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मा'लूम
फ़ानी बदायुनी
मिज़ाज-ए-दहर में उन का इशारा पाए जा
फ़ानी बदायुनी
क्या कहिए कि बेदाद है तेरी बेदाद
फ़ानी बदायुनी
हर तबस्सुम को चमन में गिर्या-सामाँ देख कर
फ़ानी बदायुनी
हर साँस के साथ जा रहा हूँ
फ़ानी बदायुनी
बे-ख़ुदी पे था 'फ़ानी' कुछ न इख़्तियार अपना
फ़ानी बदायुनी
ऐ बे-ख़ुदी ठहर कि बहुत दिन गुज़र गए
फ़ानी बदायुनी
न दहर में न हरम में जबीं झुकी होगी
फ़ना बुलंदशहरी
मक़ाम-ए-होश से गुज़रा मकाँ से ला-मकाँ पहुँचा
फ़ना बुलंदशहरी
जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया
फ़ना बुलंदशहरी
है वज्ह कोई ख़ास मिरी आँख जो नम है
फ़ना बुलंदशहरी
ग़म-ए-दुनिया ग़म-ए-हस्ती ग़म-ए-उल्फ़त ग़म-ए-दिल
फ़ना बुलंदशहरी
कुछ ज़िंदगी में लुत्फ़ का सामाँ नहीं रहा
फ़ैज़ी निज़ाम पुरी
सुरुद-ए-शबाना
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
सुब्ह-ए-आज़ादी (अगस्त-47)
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
मौज़ू-ए-सुख़न
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ये तीरा-बख़्त बयानों में क़ैद रहते हैं
फ़ैसल सईद फ़ैसल
चार-सू है बड़ी वहशत का समाँ
फ़हमीदा रियाज़
हम एक दिन निकल आए थे ख़्वाब से बाहर
फ़हीम शनास काज़मी
है नहीं कोई नाख़ुदा दिल का
एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
ऐ संग-ए-आस्ताँ मिरे सज्दों की लाज रख
एजाज़ वारसी
याद उन की दिल में आई वो आसूदगी लिए
एजाज़ वारसी
जिस को देखो बेवफ़ा है आइनों के शहर में
एजाज़ वारसी
दिल बुझ गया तो गर्मी-ए-बाज़ार भी नहीं
एजाज़ वारसी
कितने बा-होश हो गए हम लोग
एजाज़ रहमानी
थम गई वक़्त की रफ़्तार तिरे कूचे में
एजाज़ गुल
सदाक़तों के पयम्बर गए रसूल गए
एजाज़ अहमद एजाज़
तौक़ीर अँधेरों की बढ़ा दी गई शायद
एहतराम इस्लाम
तौक़ीर अँधेरों की बढ़ा दी गई शायद
एहतराम इस्लाम
ख़याल के फूल खिल रहे हैं बहार के गीत गा रहा हूँ
एहसान दरबंगावी