Sufi Poetry (page 11)
साक़ी
असरार-उल-हक़ मजाज़
मजबूरियाँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
अँधेरी रात का मुसाफ़िर
असरार-उल-हक़ मजाज़
बिजली हुई फ़ेल
असरार जामई
ऐन-मुमकिन है किसी तर्ज़-ए-अदा में आए
असलम अंसारी
ये सोचा ही नहीं था तिश्नगी में
आसिमा ताहिर
देर तक चंद मुख़्तसर बातें
आसिम वास्ती
दूर की शहज़ादी
आसिफ़ रज़ा
ये दिल में वसवसा क्या पल रहा है
आसिफ़ रज़ा
हम भी थे गोशा-गीर कि गुमनाम थे बहुत
अासिफ़ जमाल
भूल कर तू सारे ग़म अपने चमन में रक़्स कर
अासिफ़ अंजुम
पर्दे मिरी निगाह के भी दरमियाँ न थे
अशरफ़ रफ़ी
हर एक रुख़ से मुझे लुत्फ़-ए-जुस्तुजू आए
अशरफ़ रफ़ी
अपने अशआ'र भूल जाता हूँ
अशोक लाल
क़ैद-ए-हस्ती में हूँ अपने फ़र्ज़ की तामील तक
अश्क अमृतसरी
इक शहर ज़िया-बार यहाँ भी है वहाँ भी
अशहर हाशमी
हो गई अपनों की ज़ाहिर दुश्मनी अच्छा हुआ
असग़र वेलोरी
ज़ौक़-ए-सरमस्ती को महव-ए-रू-ए-जानाँ कर दिया
असग़र गोंडवी
वो नग़्मा बुलबुल-ए-रंगीं-नवा इक बार हो जाए
असग़र गोंडवी
कोई महमिल-नशीं क्यूँ शाद या नाशाद होता है
असग़र गोंडवी
हुस्न को वुसअतें जो दीं इश्क़ को हौसला दिया
असग़र गोंडवी
गर्म-ए-तलाश-ओ-जुस्तुजू अब है तिरी नज़र कहाँ
असग़र गोंडवी
एक ऐसी भी तजल्ली आज मय-ख़ाने में है
असग़र गोंडवी
असरार-ए-इश्क़ है दिल-ए-मुज़्तर लिए हुए
असग़र गोंडवी
रुमूज़-ए-मोहब्बत
असर सहबाई
नवेद-ए-वस्ल-ए-यार आए न आए
असर लखनवी
कितना मुश्किल है ख़ुद-बख़ुद रोना
असर अकबराबादी
असरार अगर समझे दुनिया की हर इक शय के
असद मुल्तानी
इन अक़्ल के बंदों में आशुफ़्ता-सरी क्यूँ है
असद मुल्तानी
गिराँ गुज़रने लगा दौर-ए-इंतिज़ार मुझे
असद भोपाली