हार ही जीत है आईन-ए-वफ़ा की रू से
ये वो बाज़ी है जहाँ जीत के हारे सारे
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(773) Peoples Rate This
अजीब ख़ौफ़ का मौसम है इन दिनों 'इमरान'
मौसम-ए-गुल है तिरे सुर्ख़ दहन की हद तक
पयाम ले के हवा दूर तक नहीं जाती
उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए
अपने लहू में ज़हर भी ख़ुद घोलता हूँ मैं
क्या जाने शाख़-ए-वक़्त से किस वक़्त गिर पड़ूँ
हम न दुनिया के हैं न दीं के हैं
अपने हिस्से में ही आने थे ख़सारे सारे
कोई तो है जो आहों में असर आने नहीं देता
वक़्त हर ज़ख़्म को भर देता है कुछ भी कीजे