इंकार न इक़रार न तस्दीक़ न ईजाब
है इश्क़ से हुस्न की सफ़ाई ज़ाहिर
तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान से बाहर
क्या कहते हैं इस में मुफ़्तियान-ए-इस्लाम
अल-हक़ कि नहीं है ग़ैर हरगिज़ मौजूद
सच कहो
नक़्क़ाश से मुमकिन है कि हो नक़्श ख़िलाफ़
अहवाल से कहा किसी ने ऐ नेक-शिआ'र
ख़ाक नमनाक और ताबिंदा नुजूम
ऐ बे-ख़बरी की नींद सोने वालो
काठ की हंडिया चढ़ी कब बार बार
जो चाहिए वो तो है अज़ल से मौजूद