तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान से बाहर
इदराक से वो बरी गुमान से बाहर
अंदर बाहर है वो न पैदा पिन्हाँ
सरहद-ए-मकान-ओ-ला-मकान से बाहर
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
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Gulzar
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ईद-ए-रमज़ाँ है आज बा-ऐश-ओ-सुरूर
छोटे काम का बड़ा नतीजा
हमारी गाय
ईद-ए-क़ुर्बां है आज ऐ अहल-ए-हमम
है इश्क़ से हुस्न की सफ़ाई ज़ाहिर
शैतान करता है कब किसी को गुमराह
आया हूँ मैं जानिब-ए-अदम हस्ती से
साक़ी ओ शराब ओ जाम ओ पैमाना क्या
कैफ़ियत-ओ-ज़ौक़ और ज़िक्र-ओ-औराद
गर्मी का मौसम
अल-हक़ कि नहीं है ग़ैर हरगिज़ मौजूद
सच कहो