कैफ़ियत-ओ-ज़ौक़ और ज़िक्र-ओ-औराद
दीन-ओ-इस्लाम और कुफ़्र-ओ-इल्हाद
हर रंग है महव हर तअ'ल्लुक़ बरबाद
है फ़क़्र तमाम इल्लतों से आज़ाद
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Wasi Shah
Anwar Masood
Jaun Eliya
Gulzar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
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या-रब कोई नक़्श-ए-मुद्दआ भी न रहे
एक वक़्त में एक काम
बंदा हूँ तो इक ख़ुदा बनाऊँ अपना
हक़ है तो कहाँ है फिर मजाल-ए-बातिल
मा'लूम का नाम है निशाँ है न असर
ऊँट
बदला नहीं कोई भेस नाचारी से
है शुक्र दुरुस्त और शिकायत ज़ेबा
बे-कार न वक़्त को गुज़ारो यारो
काठ की हंडिया चढ़ी कब बार बार
ईद-ए-क़ुर्बां है आज ऐ अहल-ए-हमम
नसीहत