है शुक्र दुरुस्त और शिकायत ज़ेबा
है कुफ़्र दुरुस्त और हिदायत ज़ेबा
गेसू-ए-सियाह और जबीन-ए-रौशन
दोनों की बहार है निहायत ज़ेबा
Anwar Masood
Habib Jalib
Parveen Shakir
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Gulzar
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छोटे काम का बड़ा नतीजा
अहमद का मक़ाम है मक़ाम-ए-महमूद
कछवा और ख़रगोश
पुर-शोर उल्फ़त की निदा है अब भी
चक्खी भी है तू ने दुर्द-ए-जाम-ए-तौहीद
मुलम्मा की अँगूठी
अहवाल से कहा किसी ने ऐ नेक-शिआ'र
शैतान करता है कब किसी को गुमराह
फ़ितरत के मुताबिक़ अगर इंसाँ ले काम
ऐ बे-ख़बरी की नींद सोने वालो
तेज़ी नहीं मिनजुमला-ए-औसाफ़-ए-कमाल
ऐ बार-ए-ख़ुदा ये शोर-ओ-ग़ौग़ा क्या है