मैं ख़ाक था आदमी बनाया तू ने
और ऐब-ए-मआसी को छुपाया तू ने
क्या शुक्र अदा करूँ करम का तेरे
इस काह को कोह कर दिखाया तू ने
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(771) Peoples Rate This
चलने का तो हो गया बहाना तुम को
जो है सो पस्त सब से आली तू है
रहबान का क़ैस का महबूब है तू
ज़ोरों पे है रोज़ ना-तवानी मेरी
जो नख़्ल हो ख़ुश्क उस का फलना क्या है
है उन की नज़ाकतों का पाना मुश्किल क्या कीजे बयाँ