जो नख़्ल हो ख़ुश्क उस का फलना क्या है
दुनिया ही नहीं तो कार-ए-दुनिया क्या है
पैदा हुआ गर कोई तो नापैद कोई
होता दिन रात ये तमाशा क्या है
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Gulzar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(710) Peoples Rate This
है उन की नज़ाकतों का पाना मुश्किल क्या कीजे बयाँ
मैं ख़ाक था आदमी बनाया तू ने
रहबान का क़ैस का महबूब है तू
चलने का तो हो गया बहाना तुम को
जो है सो पस्त सब से आली तू है
ज़ोरों पे है रोज़ ना-तवानी मेरी