मुतमइन है वो बना कर दुनिया
कौन होता हूँ मैं ढाने वाला
Parveen Shakir
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(425) Peoples Rate This
शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ
सफ़र में सोचते रहते हैं छाँव आए कहीं
दुख का एहसास न मारा जाए
और कोई चारा न था और कोई सूरत न थी
उस से भी मिल कर हमें मरने की हसरत रही
शोर साहिल का समुंदर में न था
इक तस्वीर तजरीदी
ज़मीं छोड़ने का अनोखा मज़ा
रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू
आया है एक शख़्स अजब आन-बान का
ऑफ़िस में भी घर को खुला पाता हूँ मैं
उठते हुए क़दमों की धमक आने लगी है