मुँह-ज़बानी क़ुरआन पढ़ते थे
पहले बच्चे भी कितने बूढ़े थे
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Love Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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उस से भी मिल कर हमें मरने की हसरत रही
रात कौन आया था
गिरह में रिश्वत का माल रखिए
नया साल दीवार पर टाँग दे
क़ुर्ब ओ बोद
खिड़कियों से झाँक कर गलियों में डर देखा किए
ग़ज़ल कही है कोई भाँग तो नहीं पी है
'अल्वी' ख़्वाहिश भी थी बाँझ
यार आज मैं ने भी इक कमाल करना है
ख़्वाब में एक मकाँ देखा था
शेर तो सब कहते हैं क्या है
पर तोल के बैठी है मगर उड़ती नहीं है