पर तोल के बैठी है मगर उड़ती नहीं है
तस्वीर से चिड़िया को उड़ा देना चाहिए
Allama Iqbal
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घर से बाहर किस बला का शोर था
धूप ने गुज़ारिश की
बिना मुर्ग़े के पर झटकती हैं
शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ
रोज़ कहता है हवा का झोंका
मिला हमें बस एक ख़ुदा
खिड़कियों से झाँकती है रौशनी
अभी तो और भी दिन बारिशों के आने थे
अब किसी की याद भी आती नहीं
दिल का आईना हुआ जाता है धुँदला धुँदला
सच है कि वो बुरा था हर इक से लड़ा किया
चील का साया