बिना मुर्ग़े के पर झटकती हैं
मुर्ग़ियाँ दर-ब-दर भटकती हैं
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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Anwar Masood
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
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चाक कर लो अगर गिरेबाँ है
मैं और तू
उस से भी मिल कर हमें मरने की हसरत रही
एक बच्चा
सच कहाँ कहता है जाने वाला
आगे मत सोचो
कभी तुझ से ऐसा भी याराना था
ख़ुदा
रौशनी कुछ तो मिले जंगल में
मैं ख़ुद को मरते हुए देख कर बहुत ख़ुश हूँ
कतबा
नहा कर भीगे बालों को सुखाती