कतबा

क़ब्र में उतरते ही

मैं आराम से दराज़ हो गया

और सोचा

यहाँ मुझे

कोई ख़लल नहीं पहुँचाएगा

ये दो-गज़ ज़मीन

मेरी

और सिर्फ़ मेरी मिलकियत है

और मैं मज़े से

मिट्टी में घुलता मिलता रहा

वक़्त का एहसास

यहाँ आ कर ख़त्म हो गया

मैं मुतमइन था

लेकिन बहुत जल्द

ये इत्मिनान भी मुझ से छीन लिया गया

हुआ यूँ

कि अभी मैं

पूरी तरह मिट्टी भी न हुआ था

कि एक और शख़्स

मेरी क़ब्र में घुस आया

और अब

मेरी क़ब्र पर

किसी और का

कतबा नस्ब है!!

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Katba In Hindi By Famous Poet Mohammad Alvi. Katba is written by Mohammad Alvi. Complete Poem Katba in Hindi by Mohammad Alvi. Download free Katba Poem for Youth in PDF. Katba is a Poem on Inspiration for young students. Share Katba with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.