दरवाज़े पर पहरा देने
तन्हाई का भूत खड़ा है
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इब्न-ए-मरयम
ज़मीन लोगों से डर गई है
इक लड़का था इक लड़की थी
छोड़ गया मुझ को 'अल्वी'
सूरज
मिरे होने ने मुझ को मार डाला
घर से बाहर किस बला का शोर था
सब नमाज़ें बाँध कर ले जाऊँगा मैं अपने साथ
घर में क्या आया कि मुझ को
वोल्फ-मैन
यूँही हम पर सब के एहसाँ हैं बहुत
यार आज मैं ने भी इक कमाल करना है