दिल है प्यासा हुसैन के मानिंद
ये बदन कर्बला का मैदाँ है
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नज़रों से नापता है समुंदर की वुसअतें
सर्दी में दिन सर्द मिला
सूरज
इधर रहा हूँ उधर रहा हूँ
शोर साहिल का समुंदर में न था
ढूँडने में भी मज़ा आता है
परिंदे दूर फ़ज़ाओं में खो गए 'अल्वी'
घर में क्या आया कि मुझ को
मुँह-ज़बानी क़ुरआन पढ़ते थे
'अल्वी' ने आज दिन में कहानी सुनाई थी
जल मरने से पहले
ख़्वाब में एक मकाँ देखा था