मुझे इस का दुख है
कि मैं ने तुझे
आज तक क्यूँ न जाना!
ख़ुदा ऐ ख़ुदा
मैं समझता था तू
एक ज़ालिम है जो
मुझ पे ज़ुल्म-ओ-सितम ढा रहा है!
मुझे ये ख़बर ही नहीं थी
कि तू भी
दुखी है!
अकेला है!!
मैं और तू
एक ही आग में जल रहे हैं!!
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Gulzar
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(442) Peoples Rate This
आया है एक शख़्स अजब आन-बान का
क़ब्र में
ऐसा हो
तलाश
इत्तिफ़ाक़
ख़्वाब में एक मकाँ देखा था
पहली बूँद गिरी टिप से
ढूँडने में भी मज़ा आता है
कितना हसीन था तू कभी कुछ ख़याल कर
सब नमाज़ें बाँध कर ले जाऊँगा मैं अपने साथ
कौन?
'अल्वी' ने आज दिन में कहानी सुनाई थी