एक बच्चा

आज से पहले मेरा घर

सोया सोया रहता था

सूरज रोज़ निकलता था

रोज़ सवेरा होता था

आँगन में दीवारों पर

धूप चमकती रहती थी

घर की इक इक खिड़की में

नूर की नद्दी बहती थी

सारा सारा दिन छत पर

कागे शोर मचाते थे

नल नीचे पानी पीने

रोज़ कबूतर आते थे

दरवाज़े पर दस्तक की

मोहरें चमका करती थीं

सर्द हवाएँ पर्दों में

ठंडी आहें भरती हैं

उधर इधर जाती गलियाँ

धूम मचाया करती थीं

अनजाने जाने बूझे

गीत सुनाया करती थीं

लेकिन फिर भी मेरा घर

सोया सोया रहता था!

घर का इक इक दरवाज़ा

खोया खोया रहता था!

आज मगर इक नौ-वारिद

बच्चे का रोना सुन कर

चौंक पड़े दीवार-ओ-दर

जाग उठा है मेरा घर

(450) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek Bachcha In Hindi By Famous Poet Mohammad Alvi. Ek Bachcha is written by Mohammad Alvi. Complete Poem Ek Bachcha in Hindi by Mohammad Alvi. Download free Ek Bachcha Poem for Youth in PDF. Ek Bachcha is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Bachcha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.