रातों को सोने से पहले
नई पुरानी यादों को
उलट-पलट करते रहना
वर्ना काली पड़ जाएँगी
इधर उधर से सड़ जाएँगी
Wasi Shah
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Rahat Indori
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Gulzar
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
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सर्दी में दिन सर्द मिला
हम से जो आगे गए कितने मेहरबान थे
चौथा आसमान
ख़ुदा
जल मरने से पहले
सोचते रहते हैं अक्सर रात में
ये कहाँ दोस्तों में आ बैठे
नौहा
रौ में है रख़्श-ए-उम्र
हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर
दोनों के दिल में ख़ौफ़ था मैदान-ए-जंग में
सोते सोते अचानक गली डर गई