हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर
पानी में रौशनी को उतरते हुए भी देख
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उस से बिछड़ते वक़्त मैं रोया था ख़ूब-सा
दुख का एहसास न मारा जाए
और फिर यूँ होगा
गली में कोई घर अच्छा नहीं था
आँखें खोलो ख़्वाब समेटो जागो भी
अभी तो और भी दिन बारिशों के आने थे
ढूँडता हूँ मैं ज़मीं अच्छी सी
वो मेरे साथ आने पे तय्यार हो गया
कल रात सूनी छत पे अजब सानेहा हुआ
दरवाज़े पर पहरा देने
जाती हुई लड़की को सदा देना चाहिए
मशवरा