हाए वो लोग जो देखे भी नहीं
याद आएँ तो रुला देते हैं
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रखते हो अगर आँख तो बाहर से न देखो
मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब
और बाज़ार से क्या ले जाऊँ
बरसों घिसा-पिटा हुआ दरवाज़ा छोड़ कर
लोग कहते हैं कि मुझ सा था कोई
मौत भी दूर बहुत दूर कहीं फिरती है
बिना मुर्ग़े के पर झटकती हैं
बाएँ आँख में तिल वाले की ज़बानी
खिलौने
क़ब्र में
कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए
दिल है प्यासा हुसैन के मानिंद