मौत भी दूर बहुत दूर कहीं फिरती है
कौन अब आ के असीरों को रिहाई देगा
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जाती हुई लड़की को सदा देना चाहिए
इरादा है किसी जंगल में जा रहूँगा मैं
दिन भर के दहकते हुए सूरज से लड़ा हूँ
बत्ती बुझा के हीरो हीरोइन लिपट गए
मैं अपने आप से डरने लगा था
बस के नीचे कोई नहीं आता फिर भी
खिड़कियों से झाँकती है रौशनी
यूँही हम पर सब के एहसाँ हैं बहुत
रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू
तिरा न मिलना अजब गुल खिला गया अब के
सोते सोते अचानक गली डर गई
क्यूँ सर खपा रहे हो मज़ामीं की खोज में