बस के नीचे कोई नहीं आता फिर भी
बस में बैठ के बेहद घबराता हूँ मैं
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जन्म दिन
यादें
ऐसा हंगामा न था जंगल में
आँख में दहशत न थी हाथ में ख़ंजर न था
जल मरने से पहले
और कोई चारा न था और कोई सूरत न थी
मशवरा
हवा सर्द है
मेरे सामने
मैं ख़ुद को मरते हुए देख कर बहुत ख़ुश हूँ
इस शहर में कहीं पे हमारा मकाँ भी हो
तारीफ़ सुन के दोस्त से 'अल्वी' तू ख़ुश न हो