दोनों के दिल में ख़ौफ़ था मैदान-ए-जंग में
दोनों का ख़ौफ़ फ़ासला था दरमियान का
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लोग कहते हैं कि मुझ सा था कोई
गली में कोई घर अच्छा नहीं था
अंधेरा है कैसे तिरा ख़त पढ़ूँ
सर्दी में दिन सर्द मिला
मौत न आई तो 'अल्वी'
बिना मुर्ग़े के पर झटकती हैं
सच है कि वो बुरा था हर इक से लड़ा किया
और फिर यूँ होगा
ढूँडता हूँ मैं ज़मीं अच्छी सी
यक्का उलट के रह गया घोड़ा भड़क गया
अरे ये दिल और इतना ख़ाली
सोते सोते अचानक गली डर गई