अरे ये दिल और इतना ख़ाली
कोई मुसीबत ही पाल रखिए
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घर की चिंता
'फ़ैज़'-साहिब शेर क्यूँ कहते नहीं
गिरह में रिश्वत का माल रखिए
जन्म दिन
दवा कोई क्या काम लिखूँ
'अल्वी' ने आज दिन में कहानी सुनाई थी
जल मरने से पहले
यूँही हम पर सब के एहसाँ हैं बहुत
रात के मुँह पर उजाला चाहिए
आए है बे-कसी-ए-इश्क़ पे
जाती हुई लड़की को सदा देना चाहिए
ये कहाँ दोस्तों में आ बैठे