अब किसी की याद भी आती नहीं
दिल पे अब फ़िक्रों के पहरे हो गए
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लबों पर यूँही सी हँसी भेज दे
पर तोल के बैठी है मगर उड़ती नहीं है
आया है एक शख़्स अजब आन-बान का
थोड़ी सर्दी ज़रा सा नज़ला है
हाए वो लोग जो देखे भी नहीं
गली में कोई घर अच्छा नहीं था
गुल-दान में गुलाब की कलियाँ महक उठीं
हर इक झोंका नुकीला हो गया है
यक्का उलट के रह गया घोड़ा भड़क गया
इक लड़का था इक लड़की थी
तीसरी आँख खुलेगी तो दिखाई देगा
गुलों के दरमियाँ अच्छी लगी हैं