आसमान पर जा पहुँचूँ
अल्लाह तेरा नाम लिखूँ
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शोर साहिल का समुंदर में न था
शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ
'अल्वी' ने आज दिन में कहानी सुनाई थी
बहुत ख़ुश हुए आईना देख कर
मैं अपना नाम तिरे जिस्म पर लिखा देखूँ
देखा तो सब के सर पे गुनाहों का बोझ था
पढ़ के हैराँ हूँ ख़बर अख़बार में
यक्का उलट के रह गया घोड़ा भड़क गया
ख़ाली मकान
मुझे उन जज़ीरों में ले जाओ
लड़की अच्छी है 'अल्वी'
ख़्वाब में एक मकाँ देखा था